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ज्वालामुखी क्या है ? ज्वालामुखी के प्रकार | What is Volcano and Types of Volcano

ज्वालामुखी क्या होता है ? । ज्वालामुखी के प्रकार । ज्वालामुखी इन हिंदी

नमस्कार दोस्तो, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ज्वालामुखी क्या होता है और इसके प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे । अगर आप भी ज्वालामुखी के टॉपिक के बारे में कुछ भी खोज रहे है तो यहां पर आपको सभी जानकारी मिल जाएगी ।

ज्वालामुखी क्या होता है ? What is Volcano

ज्वालामुखी या वोलकानो धरती पर बना वह छेद या दरार होती है ,जिससे की धरती के अंदर की गैस, पिघला पदार्थ, भाप , राख इत्यादि बाहर निकलते है । जो पदार्थ ज्वालामुखी से निकलता है ,वह भुराल या लावा कहलाता है।

यह बहुत गर्म और लाल रंग का होता है। लावा ठोस और काला हो जाता है, जिसे बाद में ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है। लावा में इतनी गैस होती है कि वह केवल एक बार ही बाहर जा सकती है। लावा में बुलबुले इन गैसों के निकलने के कारण बनते हैं। जब लावा बहना बंद हो जाता है तो कुछ देर के लिए भाप दिखाई देती है।

ज्वालामुखी क्या है ? ज्वालामुखी के प्रकार

ये गैसें पिघली हुई चट्टान को ऊपर लाने में सहायक होती हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि क्रस्ट पर कहीं न कहीं एक कमजोर परत मौजूद हो, जो गैस को तोड़कर, फाड़कर या छेद कर लावा को ऊपर की ओर अपना रास्ता बनाने में मदद करती है। ज्वालामुखी-विस्फोट होने पर भूकंप आना स्वाभाविक है।

ज्वालामुखी के प्रकार Types of Volcano

आपको बता दे की ज्वालामुखी को मुख्यत: तीन भागों में बांटा गया है । जो की निम्न है –

  • सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी ( Active Volcano)
  • सुषुप्त या निद्रित ज्वालामुखी ( Dormant volcano)
  • मृत ज्वालामुखी ( Extinct or Dead Volcano)

आइए अब बारी बारी से इन सभी को विस्तार से जानते है ।

सक्रिय या जाग्रत ज्वालामुखी ( Active Volcanoes)

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि ये वें ज्वालामुखी हैं जो समय-समय पर फूटते हैं, यानी जिनसे लावा, गैस, वाष्प आदि निकलते हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में इनकी संख्या लगभग 1,500 है। ये हर जगह नहीं मिलते। भारत में अंडमान और निकोबार के बैरेन द्वीप में एक सक्रिय ज्वालामुखी है। दुनिया के कुछ प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी हैं – हवाई द्वीप समूह का मौना लोआ, सिसिली का माउंट एटना और स्ट्रोमबोली ज्वालामुखी, इटली का वेसुवियस, इक्वाडोर का कोटोपैक्सी (इक्वाडोर का कोटोपैक्सी), मेक्सिको का पॉपोकेटपेटल, कैलिफोर्निया लासेन इत्यादि।

नोट :– इनमे इटली का एटना ओर स्ट्रॉमबॉली मुख्य है ।

सुषुप्त या निद्रित ज्वालामुखी ( Dormant Volcanoes)

ये वें ज्वालामुखी होते है , जो वर्षों से शांत, शांत या सोए हुए प्रतीत होते हैं, लेकिन उनके सक्रिय या जाग्रत होने की संभावना है। ऐसे ज्वालामुखी बेहद खतरनाक साबित होते हैं। ज्वालामुखी को लोग शांत समझते हैं और उसकी तलहटी में बस जाते हैं, लेकिन किसी दिन जब वह विशाल दैत्य रूप ले लेते है, तो पृथ्वी हिलने लगती है, भीतर से गड़गड़ाहट की आवाज आने लगती है और विनाश-नाटक होने लगता है। आस-पास के शहर और गांव बर्बाद हो गए हैं।

सामान्य शब्दों में कहा जाए तो ये ऐसे ज्वालामुखी होते है जिनमे निकट अतीत में कोई उदगार नही हुआ ,किंतु भविष्य में इनमे उदगार होने की तीव्र संभावना होती है । उदाहरण के लिए –: भूमध्य सागर का विसुवियस, जापान का फ्यूजियामा, फिलिपिंस का मेयन, सुंडा जलमद्रु का क्रकोतवा इत्यादि।

मृत ज्वालामुखी ( Extinct or Dead Volcano)

ये ऐसे ज्वालामुखी होते है जिनमे विस्फोट होना बिल्कुल बंद हो गया है । मृत ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी है जिनमे इतिहास में कोई भी उदगार नही हुआ है । इन्हे मृत ज्वालामुखी कहते है ।उदाहरण के लिए –: म्यांमार का पोपा, अफ्रीका का किलिमंजारो, ईरान का कोह सुल्तान और डेमवंद इत्यादि।

ज्वालामुखी का इतिहास

कहा जाता है कि करीब एक हजार साल पहले इटालिया (इटली) के लोगों ने सुना था कि उनके देश का वेसुवियस पर्वत एक बार फट गया था और उसमें से आग निकल रही थी। क्योंकि मामला बहुत पुराना था और इसका कोई सबूत नहीं था, इसलिए लोगों ने इसे सिर्फ एक कल्पना के रूप में स्वीकार कर लिया और इसे भूलकर अपना जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया.

लेकिन कुछ समय बाद पम्पिया और हरकुलेनियम के राज्य में 24 अगस्त 79 ई. दोपहर में विसुविजय पर्वत से धुंआ उठने लगा और पृथ्वी कांपने लगी, जिसके बाद गड़गड़ाहट की आवाज आने लगी, जिसे सुनकर उस शहर के निवासी डर गए और देखते ही देखते आग बरसने लगी। धूल और पत्थर।

क्यों होता है ,ज्वालामुखी में विस्फोट

एक भूविज्ञानी के शब्दों में, “ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उगने वाले फोड़े हैं। वे वहां फट जाते हैं जहां क्रस्ट कमजोर होता है, जहां वे बाहर निकलने का रास्ता खोजते हैं।” हम पृथ्वी की पपड़ी को भेदते हुए नहीं देख सकते हैं, लेकिन हम अनुमान लगा सकते हैं कि वहां क्या स्थिति हो सकती है।

ज्वालामुखी क्या है ? ज्वालामुखी के प्रकार

अभी तक हम गहराई तक खुदाई करने में सक्षम हैं चार मील और हमने पाया है कि तापमान गहराई के साथ बढ़ता है। इस कारण से हमें सबसे गहरी खानों को एयर-कंडीशन करना पड़ता है। बढ़ते तापमान को देखकर, लोगों ने हाल ही में माना कि पृथ्वी का आंतरिक भाग ठोस नहीं हो सकता है, वहां चट्टानें हैं ठोस रूप में नहीं बल्कि तरल अवस्था में। लेकिन भूकंप-लेखक यंत्रों की मदद से भूकंप तरंगों का अध्ययन करके, वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पृथ्वी की पपड़ी 1800 मील की गहराई तक तरल अवस्था में नहीं है। सच्चाई यह है कि उन चट्टानों के पास पिघलने की जगह भी नहीं है।

पृथ्वी अपने भारी वजन के साथ उन्हें वहीं दबाती है।पिघलने में चट्टानों को विस्तार करना पड़ता है और ऊपर की अपेक्षाकृत ठंडी परतें उन्हें इतनी जोर से दबाती हैं कि वे फैलती नहीं हैं, इसलिए वे असमर्थ रहना पिघलने की हद तक गर्म होने पर भी पिघलने कालेकिन लावा पृथ्वी के अंदर से निकली हुई पिघली हुई चट्टान है।

यह कहाँ से और कैसे आता है? संभव है कि कुछ कारणों से पृथ्वी की पपड़ी का दबाव कम हो गया हो। हो सकता है कि क्रस्ट को ऊपर खींच लिया गया हो और ऊपर उठा लिया गया हो क्योंकि पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी हो रही है, सिकुड़ रही है और झुर्रीदार हो रही है। इससे दबाव कम हो जाएगा और नीचे की चट्टानों (50-60 मील नीचे) को फैलने और तरल बनने की जगह मिल जाएगी। यह भी संभव है कि क्रस्ट के विशिष्ट स्थलों पर चट्टानें विशेष रूप से गर्म हो गई हों।

कुछ साल पहले हमने चट्टानों में रेडियो-सक्रिय तत्वों का पता लगाया है। ये तत्व टूट कर अन्य पदार्थों में बदल जाते हैं। इस परिवर्तन के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है। इस लगातार बढ़ती गर्मी के कारण, किसी विशेष स्थान की चट्टानें बहुत गर्म हो सकती हैं और ऊपर की ठोस परत को पिघलाकर अलग कर सकती हैं।

ज्वालामुखी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • सक्रिय ज्वालामुखी अधिकांशतः “प्रशांत महासागर” के तटीय भाग में पाया जाता हैं.
  • प्रशांत महासागर के परिमेखला को “अग्नि वलय” ( Fire ring of the pacific ) भी कहते हैं.
  • सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी अमेरिका एवं एशिया महाद्वीप के तटों पर स्थित हैं.
  • ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में एक भी ज्वालामुखी नही हैं.
  • विश्व का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत “कोटापैक्सी” (इक्वेडोर) हैं, जिसकी ऊँचाई 19,613 फीट हैं.
  • विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी “ओजस डेल सालाडो” (6885मी.) एण्डीज पर्वतमाला में आर्जेन्टीना चिली देश के सीमा पर स्थित हैं.
  • विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित शान्त ज्वालामुखी एकान्कागुआ (Aconcagua) एण्डीज पर्वतमाला पर ही स्थित हैं, जिसकी ऊँचाई 6960 मी. हैं.
  • स्ट्राम्बोली भूमध्य सागर में सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर अवस्थित हैं. इसमें सदा प्रज्वलित गैस निकला करती हैं, जिससे आस-पास का भाग प्रकाशित रहता हैं, इस कारण इस ज्वालामुखी को “भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ” कहते हैं.
  • गेसर (Geyser) बहुत से ज्वालमुखी क्षेत्रो में उदगार के समय दरारों तथा सूराखो से होकर जल तथा वाष्प कुछ अधिक ऊँचाई तक निकलने लगते हैं. इसे ही गेसर कहा जाता हैं.

भारत के ज्वालामुखी

भारत में भी ऐसे कई ज्वालामुखी है जिनमे समयानुसार उदगार होता रहता है ,इनके बारे में विस्तार से विवरण नीचे दिया जा रहा है –

बारेन आइलैंड का ज्वालामुखी

बारेन आइलैंड अंडमान सागर में स्थित है. यहाँ पर दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वाला मुखी देखने मिलता है. इसका पहला विस्फोट सन 1787 मे देखा गया था. उसके बाद ये ज्वालामुखी दस से भी अधिक बार प्रस्फुटित हो गया है. इसी साल 2017 के फ़रवरी के महीने में भी एक बार ये ज्वालामुखी सक्रिय हो उठा. इसकी ऊँचाई 353 मीटर की है.

नर्कांदम आइलैंड का ज्वालामुखी

ये भी अंडमान सागर में स्थित एक छोटा सा आइलैंड है, जिसकी ऊंचाई औसत समुद्री ताल से 710 मीटर है. इस आइलैंड के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र में कुछ सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते है. इस आइलैंड का क्षेत्रफल 7.63 किमी है. इस पर स्थित ज्वालामुखी की लम्बाई 710 मीटर की थी.

डेक्कन ट्रैप्स का ज्वालामुखी

बरतंग आइलैंड का ज्वालामुखी

धिनोधर हिल्स का ज्वालामुखी

दोषी हिल का ज्वालामुखी

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